Shani dev jaynti -2020
Shani dev jaynti:
Shani Dev Mantra in hindi- इस मंत्र का करें जाप, शनिदेव की हर बाधा होगी दूर, मिलेगा धन वैभव:
By: n d gadhavi
शनि बुरे कर्म करने पर ही प्राणियों को अनेक तरह से दण्डित करते हैं, जो धार्मिक दृष्टि से शनि दशा, शनि की चाल या शनि की क्रूर दृष्टि के रूप में जानी जाती है
जबलपुर। शनि चरित्र में कर्म की प्रधानता है। शनि उपासना कर्म और कर्तव्य के प्रति दृढ़ संकल्पित व प्रेरित करती है। शास्त्रों के मुताबिक शनि बुरे कर्म करने पर ही प्राणियों को अनेक तरह से दण्डित करते हैं, जो धार्मिक दृष्टि से शनि दशा, शनि की चाल या शनि की क्रूर दृष्टि के रूप में जानी जाती है। माना जाता है कि सांसारिक जीवन में शनि का यह दण्ड शरीर, मन या आर्थिक परेशानियों के रूप में मिलता है। चूंकि हर प्राणी कर्म व कर्तव्यों से किसी न किसी रूप में जुड़ा होता है, इसलिए जिम्मेदारियों को पूरा करते हुए पैदा हुई हित या स्वार्थ पूर्ति की भावना से जाने-अनजाने मन, विचार व कर्म दोषों का भागी बनता है। धर्म की दृष्टि से ऐसे दोषों का शमन प्रायश्चित व क्षमा द्वारा संभव है।
यही कारण है कि किसी भी रूप में कर्म, विचार या व्यवहार से हुए बुरे कामों के लिए न्यायाधीश शनि का ध्यान कर उनसे विशेष मंत्र से क्षमा मांगना शनि कृपा से सारे रुके, बिगड़े या मनचाहे कामों को पूरा करने का बेहतर उपाय साबित होगा।
शनिवार को शनि पूजा कर क्षमा प्रार्थना का विशेष मंत्र बोलें –
शनिवार को स्नान के बाद यथासंभव काले वस्त्र पहनकर शनि मंदिर में शनि देव का ध्यान कर प्रतिमा को पवित्र जल, तिल या सरसों का तेल, काला वस्त्र, अक्षत, फूल, नैवेद्य अर्पित करें। सरल शनि मंत्रों जैसे ‘ॐ शं शनिश्चराय नम:’ शनि चालीसा या शनि स्त्रोत का पाठ करें।
– मंत्र ध्यान व पूजा के बाद शनिदेव की आरती कर नीचे लिखे मंत्र से जाने-अनजाने हुए बुरे कर्म व विचार के लिये क्षमा मांग आने वाले वक्त को सुखद व सफल बनाने की कामना करें -
अपराधसहस्त्राणि क्रियन्तेऽहर्निशं मया।
दासोऽयमिति मां मत्वा क्षमस्व परमेश्वर।।
गतं पापं गतं दु:खं गतं दारिद्रय मेव च।
आगता: सुख-संपत्ति पुण्योऽहं तव दर्शनात्।।
शनि देव भगवान सूर्य के पुत्र है । शनि देव को जज माना जाता है । मनुष्य के अछे बुरे काम का फल शनिदेव ही देते है । शनिदेव को प्रसन करने के लिए शनिवार को शनिदेव पर तेल चढ़ाये और शनिदेव जी के मंत्र का जाप करे ।
शनि देव जी का तांत्रिक मंत्र - ऊँ प्रां प्रीं प्रौं सः शनये नमः।
शनि देव महाराज के वैदिक मंत्र - ऊँ शन्नो देवीरभिष्टडआपो भवन्तुपीतये।
शनि देव का एकाक्षरी मंत्र - ऊँ शं शनैश्चाराय नमः।
शनि देव जी का गायत्री मंत्र - ऊँ भगभवाय विद्महैं मृत्युरुपाय धीमहि तन्नो शनिः प्रचोद्यात्।
ऊँ श्रां श्रीं श्रूं शनैश्चाराय नमः।
ऊँ हलृशं शनिदेवाय नमः।
ऊँ एं हलृ श्रीं शनैश्चाराय नमः।
ऊँ मन्दाय नमः।
ऊँ सूर्य पुत्राय नमः।
ऊँ त्रयम्बकं यजामहे सुगंधिम पुष्टिवर्धनम ।
उर्वारुक मिव बन्धनान मृत्योर्मुक्षीय मा मृतात ।
ॐ शन्नोदेवीरभिष्टय आपो भवन्तु पीतये।शंयोरभिश्रवन्तु नः। ऊँ शं शनैश्चराय नमः।
ऊँ नीलांजनसमाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम्।छायामार्तण्डसम्भूतं तं नमामि शनैश्चरम्
इन 6 जगहों पर विराजमान हैं शनिदेव:
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Jay shani dev |
शनि बुरे कर्म करने पर ही प्राणियों को अनेक तरह से दण्डित करते हैं, जो धार्मिक दृष्टि से शनि दशा, शनि की चाल या शनि की क्रूर दृष्टि के रूप में जानी जाती है
जबलपुर। शनि चरित्र में कर्म की प्रधानता है। शनि उपासना कर्म और कर्तव्य के प्रति दृढ़ संकल्पित व प्रेरित करती है। शास्त्रों के मुताबिक शनि बुरे कर्म करने पर ही प्राणियों को अनेक तरह से दण्डित करते हैं, जो धार्मिक दृष्टि से शनि दशा, शनि की चाल या शनि की क्रूर दृष्टि के रूप में जानी जाती है। माना जाता है कि सांसारिक जीवन में शनि का यह दण्ड शरीर, मन या आर्थिक परेशानियों के रूप में मिलता है। चूंकि हर प्राणी कर्म व कर्तव्यों से किसी न किसी रूप में जुड़ा होता है, इसलिए जिम्मेदारियों को पूरा करते हुए पैदा हुई हित या स्वार्थ पूर्ति की भावना से जाने-अनजाने मन, विचार व कर्म दोषों का भागी बनता है। धर्म की दृष्टि से ऐसे दोषों का शमन प्रायश्चित व क्षमा द्वारा संभव है।
यही कारण है कि किसी भी रूप में कर्म, विचार या व्यवहार से हुए बुरे कामों के लिए न्यायाधीश शनि का ध्यान कर उनसे विशेष मंत्र से क्षमा मांगना शनि कृपा से सारे रुके, बिगड़े या मनचाहे कामों को पूरा करने का बेहतर उपाय साबित होगा।
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शनिवार को शनि पूजा कर क्षमा प्रार्थना का विशेष मंत्र बोलें –
शनिवार को स्नान के बाद यथासंभव काले वस्त्र पहनकर शनि मंदिर में शनि देव का ध्यान कर प्रतिमा को पवित्र जल, तिल या सरसों का तेल, काला वस्त्र, अक्षत, फूल, नैवेद्य अर्पित करें। सरल शनि मंत्रों जैसे ‘ॐ शं शनिश्चराय नम:’ शनि चालीसा या शनि स्त्रोत का पाठ करें।
– मंत्र ध्यान व पूजा के बाद शनिदेव की आरती कर नीचे लिखे मंत्र से जाने-अनजाने हुए बुरे कर्म व विचार के लिये क्षमा मांग आने वाले वक्त को सुखद व सफल बनाने की कामना करें -
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अपराधसहस्त्राणि क्रियन्तेऽहर्निशं मया।
दासोऽयमिति मां मत्वा क्षमस्व परमेश्वर।।
गतं पापं गतं दु:खं गतं दारिद्रय मेव च।
आगता: सुख-संपत्ति पुण्योऽहं तव दर्शनात्।।
शनि देव भगवान सूर्य के पुत्र है । शनि देव को जज माना जाता है । मनुष्य के अछे बुरे काम का फल शनिदेव ही देते है । शनिदेव को प्रसन करने के लिए शनिवार को शनिदेव पर तेल चढ़ाये और शनिदेव जी के मंत्र का जाप करे ।
शनि देव जी का तांत्रिक मंत्र - ऊँ प्रां प्रीं प्रौं सः शनये नमः।
शनि देव महाराज के वैदिक मंत्र - ऊँ शन्नो देवीरभिष्टडआपो भवन्तुपीतये।
शनि देव का एकाक्षरी मंत्र - ऊँ शं शनैश्चाराय नमः।
शनि देव जी का गायत्री मंत्र - ऊँ भगभवाय विद्महैं मृत्युरुपाय धीमहि तन्नो शनिः प्रचोद्यात्।
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READ MUST- इस मंत्र में समाई है नौ देवियों की शक्ति, नवग्रहों को नियंत्रित करने की साधना
शनिदेव महाराज जी के अन्य मंत्र -
ऊँ श्रां श्रीं श्रूं शनैश्चाराय नमः।
ऊँ हलृशं शनिदेवाय नमः।
ऊँ एं हलृ श्रीं शनैश्चाराय नमः।
ऊँ मन्दाय नमः।
ऊँ सूर्य पुत्राय नमः।
साढ़ेसाती से बचने के मंत्र-
ऊँ त्रयम्बकं यजामहे सुगंधिम पुष्टिवर्धनम ।
उर्वारुक मिव बन्धनान मृत्योर्मुक्षीय मा मृतात ।
ॐ शन्नोदेवीरभिष्टय आपो भवन्तु पीतये।शंयोरभिश्रवन्तु नः। ऊँ शं शनैश्चराय नमः।
ऊँ नीलांजनसमाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम्।छायामार्तण्डसम्भूतं तं नमामि शनैश्चरम्
Jay shani dev |
इन 6 जगहों पर विराजमान हैं शनिदेव:
सूर्य पुत्र शनि देव बहुत शक्तिशाली माने जाते हैं और यह इंसान को कर्मों का फल देते हैं. देश में दनके कई प्रसिद्ध मंदिर स्थित हैं...
शनिदेव के मंदिर
भगवान शनिदेव को ग्रहों में सबसे प्रभावशाली माना गया है और वह मनुष्य को उसके कर्मों के अनुसार फल देते हैं. यही एक वजह हैं कि लोग उनकी पूजा में बहुत सावधानी बरतते हैं और उनकी प्रकोप से बचने के लिए शनिवार के दिन उनकी पूजा करते हैं.
भगवान शनिदेव को ग्रहों में सबसे प्रभावशाली माना गया है और वह मनुष्य को उसके कर्मों के अनुसार फल देते हैं. यही एक वजह हैं कि लोग उनकी पूजा में बहुत सावधानी बरतते हैं और उनकी प्रकोप से बचने के लिए शनिवार के दिन उनकी पूजा करते हैं.
देश के हर कोने में शनिदेव को पूजा जाता है और उनके ये छह मंदिर पूरे देश में प्रसिद्ध हैं...
1. शनि शिंगणापुर
Maharashtra में स्थित इस मंदिर की ख्याति देश ही नहीं विदेशों में भी है. कई लोग तो इस स्थान को शनि देव का जन्म स्थान भी मानते है. ऐसा कहा जाता है कि यहां शनि देव हैं, लेकिन मंदिर नहीं है. घर है परंतु दरवाजा नहीं और वृक्ष है लेकिन छाया नहीं है. शिंगणापुर के इस चमत्कारी शनि मंदिर में स्थित शनिदेव की प्रतिमा लगभग पांच फीट नौ इंच ऊंची व लगभग एक फीट छह इंच चौड़ी है. देश-विदेश से श्रद्धालु यहां आकर शनिदेव की इस दुर्लभ प्रतिमा का दर्शन लाभ लेते हैं.2. शनि मंदिर इंदौर
इंदौर में शनिदेव का प्राचीन व चमत्कारिक मंदिर जूनी इंदौर में स्थित है. यह मात्र हिंदुस्तान का ही नहीं, दुनिया का सबसे प्राचीन शनि मंदिर है. ऐसा माना जाता है कि जूनी इंदौर में स्थापित इस मंदिर में शनि देवता स्वयं पधारे थे. इस मंदिर के बारे में एक कथा प्रचलित है कि मंदिर के स्थान पर लगभग 300 वर्ष पूर्व एक 20 फुट ऊंचा टीला था, जहां वर्तमान पुजारी के पूर्वज पंडित गोपालदास तिवारी आकर ठहरे थे.
3. शनिचरा मंदिर, मुरैना
मध्य प्रदेश में ग्वालियर के नजदीकी एंती गांव में शनिदेव मंदिर का देश में विशेष महत्व है. देश के सबसे प्राचीन त्रेतायुगीन शनि मंदिर में प्रतिष्ठत शनिदेव की प्रतिमा भी विशेष है. माना जाता है कि ये प्रतिमा आसमान से टूट कर गिरे एक उल्कापिंड से निर्मित है. ज्योतिषी व खगोलविद मानते है कि शनि पर्वत पर निर्जन वन में स्थापित होने के कारण यह स्थान विशेष प्रभावशाली है. maharashtra के सिगनापुर शनि मंदिर में प्रतिष्ठित शनि शिला भी इसी शनि पर्वत से ले जाई गई है. कहते हैं कि हनुमान जी ने शनिदेव को रावण की कैद से मुक्त कराकर उन्हें मुरैना पर्वतों पर विश्राम करने के लिए छोड़ा था. मंदिर के बाहर हनुमान जी की मूर्ति भी स्थापित है.
Jay balaji |
Jay jagannath |
4. शनि मंदिर, प्रतापगढ़
भारत के प्रमुख शनि मंदिरों में से एक शनि मंदिर उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ में स्थित है जो शनि धाम के रूप में प्रख्यात है. प्रतापगढ़ जिले के विश्वनाथगंज बाजार से लगभग 2 किलोमीटर दूर कुशफरा के जंगल में भगवान शनि का प्राचीन पौराणिक मन्दिर लोगों के लिए श्रद्धा और आस्था के केंद्र हैं. कहते हैं कि यह ऐसा स्थान है जहां आते ही भक्त भगवान शनि की कृपा का पात्र बन जाता है. चमत्कारों से भरा हुआ यह स्थान लोगों को सहसा ही अपनी ओर खींच लेता है. अवध क्षेत्र के एक मात्र पौराणिक शनि धाम होने के कारण प्रतापगढ़ (बेल्हा) के साथ-साथ कई जिलों के भक्त आते हैं. प्रत्येक शनिवार भगवान को 56 प्रकार के व्यंजनों का भोग लगाया जाता है.5. शनि तीर्थ क्षेत्र, असोला, फतेहपुर बेरी
यह मंदिर दिल्ली के महरौली में स्थित है. यहां शनि देव की सबसे बड़ी मूर्ति विद्यमान है जो अष्टधातुओं से बनी है.
6. शनि मंदिर, तिरुनल्लर
शनिदेव को समर्पित यह मंदिर तमिलनाडु के नवग्रह मंदिरों में से एक है. भारत में स्थित शनिदेव का यह सबसे पवित्र मंदिर माना जाता है. ऐसी मान्यता है कि शनिदेव के प्रकोप के कारण किसी व्यक्ति को बदकिस्मती, गरीबी और अन्य बुरे प्रभावों का सामना करना पड़ सकता है. इस मंदिर में भगवान शिव की पूजा करने से शनि ग्रह के सभी बुरे प्रभावों से मुक्ति मिल जाती है.
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